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जनवरी 23, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Top Secrets of Kamsutra -20 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-20 : स्त्री द्वारा पुरुष की तरह संभोग करना, नाड़ा खोलने से लेकर संभोग के लिए तैयार करने की विधियां

 स्त्री द्वारा पुरुष की तरह संभोग करना, नाड़ा खोलने से लेकर संभोग के लिए तैयार करने की विधियां पिछले ब्लॉग में आपने पढ़ा कि वात्स्यायन ने जिन विशेष संभोग आसनों का जिक्र किया है, उनका वेदों में भी समर्थन किया गया है। अब इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे विपरीत रति के बारे में। जब कोई स्त्री पुरुष की तरह संभोग करती है, तो उसकी क्या-क्या विधियां हैं तथा इसके लाभ और नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं। इसके साथ ही इस ब्लॉग में बताया जा रहा है कि पुरुष स्त्री का नाड़ा कैसे खोलता है तथा उसे धीरे-धीरे संभोग के लिए कैसे तैयार करता है। विपरीत रति के संदर्भ में मंत्रकार का कहना है कि पुरुष को उल्टे, टेढ़े, खड़े होकर तथा विपरीत रति के आसनों का प्रयोग संभोग के दौरान नहीं करना चाहिए। इन आसनों से यदि गर्भ ठहर गया तो विकलांग संतान उत्पन्न हो सकती है। आचार्य वात्स्यायन कहतेहैं कि पुरुष जब संभोग क्रिया में थक जाता है, तो स्त्री को चाहिए कि वह पुरुष के ऊपर आकर उसी की तरह आचरण करे। इस आचरण को ही पुरुषायित या विपरीत रति कहा जाता है। विपरीत रति के कारण, भेद तथा लाभ-हानियों का विवरण वे इस अध्याय में विस्तारपूर्वक देते

Top Secrets of Kamsutra -19 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-19 : वात्स्यायन की विशेष संभोग क्रियाओं का वेदों में समर्थन

 वात्स्यायन की विशेष संभोग क्रियाओं का वेदों में समर्थन           पिछले ब्लॉग में आपने पढ़ा कि संभोग क्रिया के दौरान होने वाली ऐसी मारपीट के संदर्भ में, जो जानलेवा भी साबित हो सकती है। इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे कि आचार्य वात्स्यायन ने जिन विशेष संभोग क्रियाओंं का जिक्र किया है, उसका हमारे वेद किस तरह समर्थन करते है। वेदों में इन आसनों के बारे में क्या कहा गया है? आचार्य वात्स्यायन ने जिस विषय या प्रसंग को प्रस्तुत किया है, उसके अच्छे व बुरे दोनों पक्ष दिखाए हैं। उन्होंने शिष्ट, नैतिक और सुखद संभोग क्रियाओं का समर्थन किया है तथा असभ्य, बर्बर, निर्दयी प्रयोगों को घटिया बताया है। ये योग और भोग को एक दूसरे का पूरक मानते हैं। उनका कहना है कि बिना भोग के योग सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती तथा बिना योग के भोग सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती। आचार्य कहते हैं कि प्रथम मिलन  यानि सुहागरात के दिन पति को अपनी पत्नी का पूरी तरह से ध्यान रखना चाहिए। उसे चाहिए कि वह अपनी पत्नी की मानसिक कुंठाओं और संदेहों को दूर करे। यदि पति कोई असभ्य, अशिष्ट या निर्दयी व्यवहार करता है तो अपनी प्रियतमा के हृदय में घृणा, क