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Top Secrets of Kamsutra-11 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-11 : चुंबन का प्रयोग कब, शरीर के कौनसे अंग पर, किस ढंग से करना चाहिए?

  चुंबन का प्रयोग कब, शरीर के कौनसे अंग पर,  किस ढंग से करना चाहिए?           कामसूत्र में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि माथा, पलकें, गाल, आंखें, वक्ष, स्तन, होंठ और मुंह के भीतर के तालू इत्यादि चुंबन लेने के सही स्थान हैं। लेकिन लाट देश(खम्बात, सूरत-दक्षिणी गुजरात) में रहने वाले पुरुशों में स्त्री की योनि के होंठ, उसे आसपास की जगहें, बगलों, जांघों तथा कूल्हों पर चुंबन करने का भी रिवाज है। हालांकि दूसरे सभ्य लोग इसे पशु चुंबन कहते हैं। आचार्य वात्स्यायन का मत है कि अलग-अलग प्रदेशों मं अलग-अलग स्वभाव के लोग रहते हैं। उनमें चूमने के स्थानों को लेकर भी अलग-अलग विचार हैं। संभोग के व्यवहार और प्रथा के कारण चुंबन स्त्री की कामवासना के सूचक बन गए हैं। इसलिए वातस्यायन कहते हैं कि जहां जिस प्रकार के चुंबन प्रचलित हैं, वहां उसी प्रकार से कर लेना चाहिए।  प्रत्येक स्त्री  पर विशेष प्रकार के चुंबनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नई नवेली तरुणी के चुंबन : निमित्तक, स्फुरित और घटितक - इन तीन प्रकार के चुंबनों का प्रयोग नई नवेली तरुणियों ही करती हैं। इनका पुरुशां के साथ संबंध नहीं है। ये तरुणियां इन च