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Top Secrets of Kamsutra-7 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-7 : गुप्तांगों के आकार पर निर्भर करता है संभोग का आनंद

  गुप्तांगों के आकार पर निर्भर करता है संभोग का आनंद  कामसूत्र में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि स्त्री और पुरुष का संभोग होने से पहले एक दूसरे के प्रति आकर्षण होता है। यह आकर्षण एक मानसिक प्रक्रिया है। आकर्षण के बाद दोनों के शरीर एक दूसरे के समीप आते हैं। इस समीपता का अंत संभोग कहलाता है।      संभोग एक शारीरिक क्रिया है। मानसिक आकर्षण और जोश पुरुष और स्त्री को एक दूसरे की ओर खींचते हैं। यही खिंचाव उन्हें संभोग की क्रिया तक ले जाता है। इस संभोग क्रिया में यदि दोनों के गुप्तांगों में समानता न हो तो मन द्वारा उत्पन्न आकर्षण फीका पड़ जाता है। कामवासना अतृप्त रह जाने से यह आकर्षण विकर्षण में बदल जाता है। इसलिए आचार्य वास्स्यायन गुप्तांगों के आकार भेद से संभोग के भेद बताते हैं।      यह बहुत जरूरी है कि संभोग क्रिया के लिए पुरुष के लिंग और स्त्री की योनि के बीच समानता हो। तभी यह क्रिया लंबे समय तक चल पाएगी। इसलिए आचार्य नायिक और नायिकाओं को गुप्तांग के आधार पर तीन प्रकार बताये हैं। तीन प्रकार के नायक कौनसे होते हैं :- 1. शश (खरगोश जैसे छोटे गुप्तांग वाला) :   ऐसे पुरुषों की के लक्षण, गुण व स