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Top Secrets of Kamsutra -22 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-22 : मुख मैथुन कौन लोग करते हैं, किस प्रकार करते हैं व इसके लाभ-हानियां क्या हैं?

 मुख मैथुन कौन लोग करते हैं, किस प्रकार करते हैं व इसके लाभ-हानियां क्या हैं?              पिछले ब्लॉग में आपने पढ़ा कि जब स्त्री कामोत्तेजित हो जाती है तो उसकी पहचान क्या होती है तथा उस स्त्री के साथ संभोग किन-किन विधियों से किया जा सकता है। अब इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे कि मुख मैथुन क्या होता है, इसे किस प्रकार के लोग करते हैं, किन-किन विधियों से करते हैं तथा इसके लाभ और हानियां क्या हैं?               आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि मुख मैथुन एक निंदनीय कर्म है तथा इसे प्राय: हिजड़ोंं में ज्यादा प्रचलित है। कामशास्त्र के आचार्यों के अनुसार यह संभोग क्रिया अशिष्ट, असामाजिक तथा अप्राकृतिक है। इस क्रिया का विरोध धर्म-शास्त्रों ने भी किया है। सभ्य समाज में इसे मान्यता प्राप्त नहीं है।                     फिर भी कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपने बुरे संस्कारों और बुरे स्वभाव के कारण या फिर बुरी संगति के कारण इस गंदे काम को पसंद करते हैं। आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि कामशास्त्र में इसकी व्याख्या करना इसलिए आवश्यक है क्योकि यह भी एक संभोगिक क्रिया है। इसका सीधा संबंध भी कामवासना से है।  एक कामशास

Top Secrets of Kamsutra -20 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-20 : स्त्री द्वारा पुरुष की तरह संभोग करना, नाड़ा खोलने से लेकर संभोग के लिए तैयार करने की विधियां

 स्त्री द्वारा पुरुष की तरह संभोग करना, नाड़ा खोलने से लेकर संभोग के लिए तैयार करने की विधियां पिछले ब्लॉग में आपने पढ़ा कि वात्स्यायन ने जिन विशेष संभोग आसनों का जिक्र किया है, उनका वेदों में भी समर्थन किया गया है। अब इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे विपरीत रति के बारे में। जब कोई स्त्री पुरुष की तरह संभोग करती है, तो उसकी क्या-क्या विधियां हैं तथा इसके लाभ और नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं। इसके साथ ही इस ब्लॉग में बताया जा रहा है कि पुरुष स्त्री का नाड़ा कैसे खोलता है तथा उसे धीरे-धीरे संभोग के लिए कैसे तैयार करता है। विपरीत रति के संदर्भ में मंत्रकार का कहना है कि पुरुष को उल्टे, टेढ़े, खड़े होकर तथा विपरीत रति के आसनों का प्रयोग संभोग के दौरान नहीं करना चाहिए। इन आसनों से यदि गर्भ ठहर गया तो विकलांग संतान उत्पन्न हो सकती है। आचार्य वात्स्यायन कहतेहैं कि पुरुष जब संभोग क्रिया में थक जाता है, तो स्त्री को चाहिए कि वह पुरुष के ऊपर आकर उसी की तरह आचरण करे। इस आचरण को ही पुरुषायित या विपरीत रति कहा जाता है। विपरीत रति के कारण, भेद तथा लाभ-हानियों का विवरण वे इस अध्याय में विस्तारपूर्वक देते

Top Secrets of Kamsutra -18 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-18 : संभोग क्रिया के दौरान की जाने वाली दर्दनाक मारपीट

 संभोग क्रिया के दौरान की जाने वाली दर्दनाक मारपीट  पिछले ब्लॉग में आपने पढ़ा कि संभोग क्रिया के दौरान पुरुषों द्वारा स्त्रियों से की जानी वाली हल्की मारपीट के बारे में तथा स्त्रियों द्वारा किए जाने वाले सीत्कार के बारे में। यह भी बताया गया कि ऐसी क्रियाओं से संभोग का आनंद बढ़ जाता है। अब इस ब्लॉग में संभोग क्रिया के दौरान की जाने वाली ऐसी मारपीट के बारे में बताया जा  रहा है, जिसे हर कोई सहन नहीं कर सकता। ऐसी मारपीट कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है।  पिछले ब्लॉग में मैंने संभोग के दौरान पुरुष द्वारा स्त्री से की जाने वाली मारपीट का ही जिक्र किया था। लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है। यानि विपरीतता भी हो सकती है। देश, काल और परिस्थितियों के कारण या फिर संभोग की चरम-सीमा  पर पहुंचकर स्त्री भी कठोर बनकर पुरुष पर प्रहार कर सकती है। ऐसे में पुरुष भी सिसियाने लगता है यानि सीत्कार करने लग जाता है। लेकिन यह स्थिति अधिक समय तक नहीं रहती। अंत में फिर वैसी ही स्थिति बन जाती है। पिछले ब्लॉग में मारपीट करने के चार ढंग बताए गए थे। इस अध्याय में चार अन्य प्रकार से मारपीट के उपाय बताए जा रहे हैं।

Top Secrets of Kamsutra -16 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-16 : संभोग क्रिया के वे आसन, जो निम्र स्तर के या बर्बर स्वभाव वाले करते हैं पसंद

  संभोग क्रिया के वे आसन, जो निम्र स्तर के या बर्बर स्वभाव वाले करते हैं पसंद पिछले ब्लॉग में आपने संभोग क्रिया के उन आसनों के बारे में पढ़ा, जिनका प्रयोग शिष्ट समाज के लोग करते हैं। इस ब्लॉग में संभोग क्रिया के उन आसनों का विवरण दिया जा रहा है, जिनका प्रयोग निम्र स्तर के स्वभाव वाले लोग करते हैं। जो भी व्यक्ति कामसूत्र के इस ब्लॉग को पढ़ेगा, उसके मन में यह प्रश्र अवश्य उठेगा कि वात्स्यायन जैसे उच्चकोटि के ऋषि ने ऐसे आसनों के बारे में क्यों बताया है? इसका उत्तर स्पष्ट है कि शास्त्र किसी एक व्यक्ति या एक  समाज के लिए नहीं हुआ करता। शास्त्र हमेशा अपने विषय का सम्पूर्ण विवरण ही प्रस्तुत करता है। वह हर पहलू पर  प्रकाश डालता है -  चाहे वह अच्छा हो या बुरा। आचार्य वात्स्यायन ने कामसूत्र को लिखते समय यह स्पष्ट कर दिया है कि संभोग की कुछ क्रियाएं उन लोगों के लिए हैं, जो बर्बर स्वभाव वाले होते हैं या फिर जिनका स्वभाव पशुओं जैसा होता है। वैसे जिन आसनों को जिक्र इस ब्लॉग में किया जा रहा है, वे भी सभी संभोग क्रिया के आसन ही हैं, लेकिन इनका प्रयोग कुछ विशेष स्थलों पर ही होता है। ये आसन निम्रलिख

Top Secrets of Kamsutra -15 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-15 : संभोग-क्रिया के वे आसन, जिनका प्रयोग सभ्य समाज में किया जाता है

  संभोग-क्रिया के वे आसन, जिनका  प्रयोग सभ्य समाज में किया जाता है इस ब्लॉग में मैं कामसूत्र के उन आसनों का विस्तारपूर्वक वर्णन करने जा रहा हूं, जिनका संभोग के समय प्रयोग करके कामवासना का भरपूर आनंद लिया जा सकता है । 1. मृगी नायिका का वृष या अश्व नायक के साथ : हम जान चुके हैं कि मृगी नायिका की योनि छोटी होती है। हम यह भी जान चुके हैं कि वृष नायक का लिंग मध्यम आकार का तथा अश्व नायक का लिंग बहुत ही बड़ा होता है। यदि मृगी नायिका वृष नायक या अश्व नायक के साथ संभोगरत हो, तो उसे चाहिए कि वह  अपने पैरों को खूब चौड़ा कर ले। उसके बाद ही लिंग को योनि में प्रवेश करने दे। पैर चौड़े कर लेने से उसकी योनि का मुंह अच्छी प्रकार से बड़ा होकर फैल जाएगा तथा बिना किसी कष्ट के संभोग हो सकेगा। ऐसे संभोग को क्रमश: उच्चरत और उच्चतर रत कहा जाता है। 2. हस्तिनी का वृष या शश के साथ : हम पिछले ब्लॉग्स में जान चुके हैं कि हस्तिनी नायिका की योनि बड़ी और गहरी होती है। उसका समान नायक अश्व होता है, जिसका लिंग बहुत ही बड़ा होता है7 वृष  नायक का लिंग मध्यम आकार का तथा शश का छोटे आकार का होता है। जब हस्तिनी  नायिका

Top Secrets of Kamsutra-14 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-14 : अलग-अलग प्रदेशों में संभोग करने की प्रचलित विधियोंं का वर्णन

 अलग-अलग प्रदेशों में संभोग करने की प्रचलित विधियोंं का वर्णन      विभिन्न प्रदेशों में प्रचलित संभोग-क्रियाओं की विधियों का वर्णन इस ब्लॉग में किया जा  रहा है। आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि इन विशेष विधियों का प्रयोग करके संभोग का एक अनूठा आनंद लिया जा सकता है। अगर नायक यह चाहता है कि नायिका संभोग के समय उसे मनचाहा आनंद दे, तो उसे उन विधियों का प्रयोग करना चाहिए, जो नायिका के प्रदेश में प्रचलित हो और जिनके प्रयोग में वह नायिका पूरी तरह दक्ष हो। ठीक यही बात नायिका पर भी लागू होती है। अलग-अलग देशों में प्रचलित अलग-अलग संभोग विधियों का वर्णन आगे कर रहे हैं। जो बात देश के रहने वालों को अनुकूल बैठे, उसका पूरा ध्यान रखकर उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। यह अनुकूलता दो तरह से होती है। एक तो स्वभाव से तथा दूसरी स्थान से। चुंबन, आलिंगन,  नखों व दांतों का प्रयोग, जिस स्थान के लिए जो अनुकूल हो, वहां उसी का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही अपने प्रियतम या प्रियतमा के स्वभाव को भी अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। वात्स्यायन की बात का असली मतलब रति रहस्य में यूं बताया गया है : जब स्त्रियां संभ

Top Secrets of Kamsutra-12 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-12 : संभोग के समय जोश में आकर नाखूनों का प्रयोग कब और कौनसे अंगों पर?

 संभोग के समय जोश में आकर नाखूनों का प्रयोग कब और कौनसे अंगों पर?           कामसूत्र में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि संभोग क्रिया में जब काम-वासना बहुत अधिक बढ़ जाती है, तब स्त्री-पुरुष जोश में आकर एक दूसरे को नाखून से मारते हैं। उनके लिए ठीक या गलत अंग का भेद नहीं रह जाता। वे जहां चाहते हैं, नाखून मार देते हैं। आचार्य का मत है कि कामवासना बढ़ जाने के बाद संघर्ष के रूप में नाखून चलाए जाते हैं। नाखून मारने का प्रयोग उन नायक-नायिकाओं में नहीं होता, जिनमें कामवासना कम या मध्यम रहती है। इनका प्रयोग अधिकतर तेज कामवासना वालों में ही होता है। इनका प्रयोग या तो पहले संभोग के समय होता है या फिर तब होता है, जब नायक या नायिका काफी समय के बाद दूसरे शहर से लौटते हैं। इसके अलावा जब नायक या नायिका को एक लंबे समय के लिए दूसरे स्थान पर जाना होता है, तब यादगारी के लिए इसका प्रयोग किया जाता है या फिर गुस्से के बाद, प्रसन्न होने पर या नायिका के नशे में धुत्त होने पर इसका प्रयोग किया जाता है। दंतप्रहार : जिस प्रकार नाखूनों का किया जाता है, उसी प्रकार से दांतों का भी किया जाता है, जिसके बारे में मैं

Top Secrets of Kamsutra-11 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-11 : चुंबन का प्रयोग कब, शरीर के कौनसे अंग पर, किस ढंग से करना चाहिए?

  चुंबन का प्रयोग कब, शरीर के कौनसे अंग पर,  किस ढंग से करना चाहिए?           कामसूत्र में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि माथा, पलकें, गाल, आंखें, वक्ष, स्तन, होंठ और मुंह के भीतर के तालू इत्यादि चुंबन लेने के सही स्थान हैं। लेकिन लाट देश(खम्बात, सूरत-दक्षिणी गुजरात) में रहने वाले पुरुशों में स्त्री की योनि के होंठ, उसे आसपास की जगहें, बगलों, जांघों तथा कूल्हों पर चुंबन करने का भी रिवाज है। हालांकि दूसरे सभ्य लोग इसे पशु चुंबन कहते हैं। आचार्य वात्स्यायन का मत है कि अलग-अलग प्रदेशों मं अलग-अलग स्वभाव के लोग रहते हैं। उनमें चूमने के स्थानों को लेकर भी अलग-अलग विचार हैं। संभोग के व्यवहार और प्रथा के कारण चुंबन स्त्री की कामवासना के सूचक बन गए हैं। इसलिए वातस्यायन कहते हैं कि जहां जिस प्रकार के चुंबन प्रचलित हैं, वहां उसी प्रकार से कर लेना चाहिए।  प्रत्येक स्त्री  पर विशेष प्रकार के चुंबनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नई नवेली तरुणी के चुंबन : निमित्तक, स्फुरित और घटितक - इन तीन प्रकार के चुंबनों का प्रयोग नई नवेली तरुणियों ही करती हैं। इनका पुरुशां के साथ संबंध नहीं है। ये तरुणियां इन च