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जनवरी 2, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Top Secrets of Kamsutra-6 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-6 : कठिन से कठिन स्त्री को सिद्ध करने में सहायक लोग

  कठिन से कठिन स्त्री को सिद्ध करने में सहायक लोग  कामसूत्र में आचार्य वात्स्यायन ने विस्तार से दूती कर्म का उल्लेख किया है। कामशास्त्र में सहायक उन लोगों को कहा गया है, जो जान-पहचान से लेकर यौन संबंधों तक पहुंच जाने वाले नायक-नायिकाओं के बीच एक कड़ी का काम करते हैं। ऐसे लोग विलासी पुरुषों के लिए बहुत काम के होते हैं। यह सहायक लोग तीन प्रकार के होते हैं। 1. स्नेह के कारण। 2. गुणों के कारण 3. जाति-विशेष के कारण। आईए सबसे पहले जानते हैं कि स्नेह के कारण कैसे लोग सहायक की  भूमिका निभाते हैं। 1. जो एक साथ धूल में खेलकर बड़े हुए हों। 2. जिसकी समय पर सहायता की गई हो। 3. जिनमें एक जैसे गुण या अवगुण हों।  4. जो एक साथ पढ़ते हों। 5. जो विश्वासपात्र हों। राज को  राज रखने वाला होने के कारण प्रिय हों। 6. जो गुप्त से गुप्त भेद जानता हो। 7. जो एक जैसे शौक या व्यसन रखते हों।  8. जो ऐसी दाई का बेटा हो, जिसका नायक ने दूध पीया हो। 9. जो एक ही गांव में रहने के कारण लंगोटिये मित्र बन गए हों। गुणों से सहायक :- 1. जिसके साथ बाप-दादा के समय से मित्रता चली आ रही हो। 2. जो झूठ न बोलता हो। जैसा देखता हो, वैसा ह

Top Secrets of Kamsutra-5 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-5 : हम धनवान क्यों नहीं बन पाते

 . हम धनवान क्यों नहीं बन पाते   आचार्य  वात्सयायन ने कामसूत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि काफी प्रयास करने के बाद भी हम धनवान क्यों नहीं बन पाते। वे कहते हैं कि बार-बार प्रयत्न करने पर भी धन की प्राप्ति नहीं हो पातली और कई बार बिना प्रयत्न के ही खजाने हाथ लग जाते हैं। इसलिए अर्थसिद्धि के जो उपाय हैं, उनके बारे में निश्चित तौर से यह नहीं कहा जा सकता कि वे सही हैं या गलत। अत: इन उपायों के लिए किसी अर्थशास्त्र की आवश्यकता नहीं है।  सब काल का किया धरा है :      आचार्य कहते हैं : यह सब काल का किया धरा होता है। सच यह है कि मनुष्य काल के अधीन है। जो कुछ भी होता है, वह समयानुसार ही होता है। धन, विजय, सुख और हानि, पराजय और दु:ख ये छह के छह पदार्थ काल के ही अधीन हैं। इनके लिए ज्यादा प्रयत्न करने का प्राय: कोई लाभ नहीं मिल पाता। काल ने बलि को इंद्र बनाया =      वे कहते हैं कि काल ने बलि को इंद्र बना दिया। उसी ने ही उसे पद से हटा भी दिया। अगर काल चाहता तो उसे फिर से इंद्र बना सकता था। तभी तो कहते हैं कि काल ही प्राणियों को जन्म देता है और वही उसे समाप्त भी करता है। सबके सो जाने पर वह जागता