Homosexuality and Unnatural Sex Relations-23 : समलैगिंक बनो और जो कुकर्म करने हैं, करो
एक सामाजिक चिंतक ने कहा है ‘बेशक समलैगिंक बनो और जो कुकर्म करने हैं, करो। बेशक समलैंगिक बनकर जीवन भर साथ रहो, पर इस अजीब रिश्ते को विवाह का नाम न दो, कम से कम विवाह जैसे पवित्र रिश्ते को गाली मत दो।’ आज अप्राकृतिक यौन संबंध और समलंैगिकता एक जटिल प्रश्न है, किन्तु यह जिस प्रकार हमारे समाज पर हावी होता जा रहा है, उस पर विचार करना बहुत जरूरी हो गया है। जिस मुद्दे की गूंज सुप्रीम कोर्ट तक गूंजी हो और जिस पर सरकारें ने अनेक बार गंभीर चिंतन किया हों, उसे हम इग्नोर नहीं कर सकते। समलैगिंकता को अगर अपराध न भी माना जाए, तो भी यह अनैतिक जरूर है। समलैगिंकता को समाजिक चोला पहनाना उससे भी बड़ा अनैतिक कर्म है। जरा उस दृश्य की कल्पना करके देखिए, जब सभी लोग विवाह जैसी संस्था को छोड़कर केवल आप्राकृतिक सेक्स के लिये समलैगिंक विवाह कर रहे हों। क्या यह दृश्य भयावह नहीं लगता? आज हम अपने मित्र के साथ आराम से गले में हाथ डालकर रास्ते मंें चल सकते हैं। लेकिन अगर देश में यह कानून बन गया कि समलैंगिक संबंध सही हैं, तो फिर इस फैसले के बाद लोग आपको और आपके दोस्त को देखकर तपाक से कह देंगे ‘देखो-देखो गे कपल जा