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Top Secrets of Kamsutra-12 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-12 : संभोग के समय जोश में आकर नाखूनों का प्रयोग कब और कौनसे अंगों पर?

 संभोग के समय जोश में आकर नाखूनों का प्रयोग कब और कौनसे अंगों पर?           कामसूत्र में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि संभोग क्रिया में जब काम-वासना बहुत अधिक बढ़ जाती है, तब स्त्री-पुरुष जोश में आकर एक दूसरे को नाखून से मारते हैं। उनके लिए ठीक या गलत अंग का भेद नहीं रह जाता। वे जहां चाहते हैं, नाखून मार देते हैं। आचार्य का मत है कि कामवासना बढ़ जाने के बाद संघर्ष के रूप में नाखून चलाए जाते हैं। नाखून मारने का प्रयोग उन नायक-नायिकाओं में नहीं होता, जिनमें कामवासना कम या मध्यम रहती है। इनका प्रयोग अधिकतर तेज कामवासना वालों में ही होता है। इनका प्रयोग या तो पहले संभोग के समय होता है या फिर तब होता है, जब नायक या नायिका काफी समय के बाद दूसरे शहर से लौटते हैं। इसके अलावा जब नायक या नायिका को एक लंबे समय के लिए दूसरे स्थान पर जाना होता है, तब यादगारी के लिए इसका प्रयोग किया जाता है या फिर गुस्से के बाद, प्रसन्न होने पर या नायिका के नशे में धुत्त होने पर इसका प्रयोग किया जाता है। दंतप्रहार : जिस प्रकार नाखूनों का किया जाता है, उसी प्रकार से दांतों का भी किया जाता है, जिसके बारे में मैं

Top Secrets of Kamsutra-10 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-10 : आलिंगन कब, कहां, कैसे? कुल कितने प्रकार के होते हैं आलिंगन?

 आलिंगन कब, कहां, कैसे? कुल कितने प्रकार के होते हैं आलिंगन? आचार्य वाभ्रव्य कहते हैं कि जो स्त्री-पुरुष पहले कभी नहीं मिले हैं, उनमें आपस के प्रेम को प्रकट करने के लिए चार प्रकार के आलिंगन बताए गए हैं इन आलिंगनों का प्रयोग वे एक दूसरे को अपने ओर आकर्षित करने के लिए करते हैं। ये  चार प्रकार के आलिंगन निम्रलिखित हैं : 1. स्पृष्टक  2. विद्धक  3. उद्घृष्टक  4.पीडि़तक इन आलिंगनों में जिसका जो नाम है, उसका वही काम है। जैसा नाम है, वैसा ही उसमें गुण है। इनका अलग-अलग विवरण आगे दिया जा रहा है। 1.  स्पृष्टक आलिंगन : पुरुष जिस स्त्री को चाहता हो तथा जिसे पाने के लिए वह प्रयत्न कर रहा हो, वह जब सामने से आ रही हो, तो किसी बहाने उसके शरीर से अपना शरीर छुआ दे, तो उसे स्पृष्टक  आलिंगन कहते हैं। 2. विद्धक आलिंगन : स्त्री जिस पुरुष को चाहती हो, वह जब एकांत में खड़ा या बैठा हो, तो किसी वस्तु को रखने या लेने के बहाने अपने वक्षों को उससे छुआ दे या उसे अपने वक्षों से धक्का देते हुए उसे पास से निकल जाए और पुरुष भी उसे तरीके से पकडक़र भींच दे, तो उसे विद्धक आलिंगन कहते हैं। 3. उद्घृष्टक आलिंगन : जहां मनुष्य

Top Secrets of Kamsutra-9 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-9 : खुद से पहले स्त्री को स्खलित करने के तरीके

खुद से पहले स्त्री को स्खलित करने के तरीके       कामसूत्र में आचार्र्य वात्स्यायन कहते हैं कि स्त्री-पुरुष की  रचना ही कुछ इस प्रकार से की गई है कि इनमें एक कर्ता है और दूसरा कर्म। एक का गुप्तांग लंबा है तो दूसरे का गहरा। एक प्रवेश करने वाला है और दूसरा करवाने वाला। इस कारण पुरुष के गुप्तांग का काम अलग है और स्त्री के गुप्तांग का अलग। इसमें मान्यता का भेद हो सकता है। पुरुष सह मान सकता है कि मैं संभोग कर रहा हूं तथा स्त्री यह मान सकती है कि मैं संभोग करवा रही हूं। इस प्रकार मान लेने से उनके आनंद में कोई अंतर नहीं पउ़ता। वे दोनों ही स्खलित होते हैं तथा समान रूप से संभोग का आनंद लेते हैं।  कुछ आचार्यों यह सवाल करते हैं कि जैसे स्त्री और पुरुष का संभोग करने का तरीका अलग-अलग है, उसी प्रकार उनके संभोग से होने वाले आनंद को भी अलग-अलग क्यों नहीं मान लेते? इसके उत्तर में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि हालांकि सुख उनके तरीकों से ही पैदा होता है, फिर भी वे अलग-अलग नहीं हैं। यह ठीक है कि काम को करने वाला अलग है और काम को करवाने वाली अलग है, तो भी ये एक ही माने जाएंगे। स्त्री और पुरुष एक ही जाति

Top Secrets of Kamsutra-5 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-5 : हम धनवान क्यों नहीं बन पाते

 . हम धनवान क्यों नहीं बन पाते   आचार्य  वात्सयायन ने कामसूत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि काफी प्रयास करने के बाद भी हम धनवान क्यों नहीं बन पाते। वे कहते हैं कि बार-बार प्रयत्न करने पर भी धन की प्राप्ति नहीं हो पातली और कई बार बिना प्रयत्न के ही खजाने हाथ लग जाते हैं। इसलिए अर्थसिद्धि के जो उपाय हैं, उनके बारे में निश्चित तौर से यह नहीं कहा जा सकता कि वे सही हैं या गलत। अत: इन उपायों के लिए किसी अर्थशास्त्र की आवश्यकता नहीं है।  सब काल का किया धरा है :      आचार्य कहते हैं : यह सब काल का किया धरा होता है। सच यह है कि मनुष्य काल के अधीन है। जो कुछ भी होता है, वह समयानुसार ही होता है। धन, विजय, सुख और हानि, पराजय और दु:ख ये छह के छह पदार्थ काल के ही अधीन हैं। इनके लिए ज्यादा प्रयत्न करने का प्राय: कोई लाभ नहीं मिल पाता। काल ने बलि को इंद्र बनाया =      वे कहते हैं कि काल ने बलि को इंद्र बना दिया। उसी ने ही उसे पद से हटा भी दिया। अगर काल चाहता तो उसे फिर से इंद्र बना सकता था। तभी तो कहते हैं कि काल ही प्राणियों को जन्म देता है और वही उसे समाप्त भी करता है। सबके सो जाने पर वह जागता

Top Secrets of Kamsutra-3 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-3 : ऐसी स्त्रियों से भूलकर भी न करें संभोग

ऐसी स्त्रियों से भूलकर भी न करें संभोग आचार्य वात्स्यायन के अनुसार कुछ  ऐसी प्रकार की स्त्रियां होती हैं, जिनके साथ भूलकर भी संभोग नहीं करना चाहिए। इससे धर्म की हानि तो होती ही है, मन और स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है और सामाजिक जीवन में भी पतन होता है। इन स्त्रियों का विवरण इस प्रकार है :- 1. जिन स्त्रियों में कोढ़ जैसा कोई भयानक रोग हो, उसके साथ यौन संबंध स्थापित करने से वह रोग लग जाने की पूरी-पूरी आशंका होती है। ऐसी स्त्रियों से सदा दूर ही रहना चाहिए। 2. जो स्त्रियां पागल या मानसिक रूप से विक्ष्प्ति हों। ऐसी स्त्रियां किसी भी समय कोई भी हरकत कर सकती हैं। इससे किसी भी प्रकार की क्षति पहुंच सकती है।  3. जो स्त्रियां अपने कुकर्मों के कारण अपनी जाति, धर्म या समाज में गिर गई हों, उसके साथ संभोग करने से पुरुष का पतन होता है। 4. जो स्त्री लज्जाहीन हो, बात-बात पर लज्जित करती हो, ऐसी स्त्री से दूर ही रहना चाहिए। ऐसी स्त्री कभी भी आपकी पोल खोल सकती है और आपको बहुत से लोगों के सामने लज्जित कर सकती है।  5. जो स्त्री ढ़ली हुई उम्र की हो। ऐसी स्त्री से संभोग करने से तेज और आयु दोनों की ह