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Top Secrets of Kamsutra-9 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-9 : खुद से पहले स्त्री को स्खलित करने के तरीके

खुद से पहले स्त्री को स्खलित करने के तरीके       कामसूत्र में आचार्र्य वात्स्यायन कहते हैं कि स्त्री-पुरुष की  रचना ही कुछ इस प्रकार से की गई है कि इनमें एक कर्ता है और दूसरा कर्म। एक का गुप्तांग लंबा है तो दूसरे का गहरा। एक प्रवेश करने वाला है और दूसरा करवाने वाला। इस कारण पुरुष के गुप्तांग का काम अलग है और स्त्री के गुप्तांग का अलग। इसमें मान्यता का भेद हो सकता है। पुरुष सह मान सकता है कि मैं संभोग कर रहा हूं तथा स्त्री यह मान सकती है कि मैं संभोग करवा रही हूं। इस प्रकार मान लेने से उनके आनंद में कोई अंतर नहीं पउ़ता। वे दोनों ही स्खलित होते हैं तथा समान रूप से संभोग का आनंद लेते हैं।  कुछ आचार्यों यह सवाल करते हैं कि जैसे स्त्री और पुरुष का संभोग करने का तरीका अलग-अलग है, उसी प्रकार उनके संभोग से होने वाले आनंद को भी अलग-अलग क्यों नहीं मान लेते? इसके उत्तर में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि हालांकि सुख उनके तरीकों से ही पैदा होता है, फिर भी वे अलग-अलग नहीं हैं। यह ठीक है कि काम को करने वाला अलग है और काम को करवाने वाली अलग है, तो भी ये एक ही माने जाएंगे। स्त्री और पुरुष एक ही जाति