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Top Secrets of Kamsutra -19 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-19 : वात्स्यायन की विशेष संभोग क्रियाओं का वेदों में समर्थन

 वात्स्यायन की विशेष संभोग क्रियाओं का वेदों में समर्थन           पिछले ब्लॉग में आपने पढ़ा कि संभोग क्रिया के दौरान होने वाली ऐसी मारपीट के संदर्भ में, जो जानलेवा भी साबित हो सकती है। इस ब्लॉग में हम पढ़ेंगे कि आचार्य वात्स्यायन ने जिन विशेष संभोग क्रियाओंं का जिक्र किया है, उसका हमारे वेद किस तरह समर्थन करते है। वेदों में इन आसनों के बारे में क्या कहा गया है? आचार्य वात्स्यायन ने जिस विषय या प्रसंग को प्रस्तुत किया है, उसके अच्छे व बुरे दोनों पक्ष दिखाए हैं। उन्होंने शिष्ट, नैतिक और सुखद संभोग क्रियाओं का समर्थन किया है तथा असभ्य, बर्बर, निर्दयी प्रयोगों को घटिया बताया है। ये योग और भोग को एक दूसरे का पूरक मानते हैं। उनका कहना है कि बिना भोग के योग सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती तथा बिना योग के भोग सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती। आचार्य कहते हैं कि प्रथम मिलन  यानि सुहागरात के दिन पति को अपनी पत्नी का पूरी तरह से ध्यान रखना चाहिए। उसे चाहिए कि वह अपनी पत्नी की मानसिक कुंठाओं और संदेहों को दूर करे। यदि पति कोई असभ्य, अशिष्ट या निर्दयी व्यवहार करता है तो अपनी प्रियतमा के हृदय में घृणा, क