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Top Secrets of Kamsutra -15 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-15 : संभोग-क्रिया के वे आसन, जिनका प्रयोग सभ्य समाज में किया जाता है

  संभोग-क्रिया के वे आसन, जिनका  प्रयोग सभ्य समाज में किया जाता है इस ब्लॉग में मैं कामसूत्र के उन आसनों का विस्तारपूर्वक वर्णन करने जा रहा हूं, जिनका संभोग के समय प्रयोग करके कामवासना का भरपूर आनंद लिया जा सकता है । 1. मृगी नायिका का वृष या अश्व नायक के साथ : हम जान चुके हैं कि मृगी नायिका की योनि छोटी होती है। हम यह भी जान चुके हैं कि वृष नायक का लिंग मध्यम आकार का तथा अश्व नायक का लिंग बहुत ही बड़ा होता है। यदि मृगी नायिका वृष नायक या अश्व नायक के साथ संभोगरत हो, तो उसे चाहिए कि वह  अपने पैरों को खूब चौड़ा कर ले। उसके बाद ही लिंग को योनि में प्रवेश करने दे। पैर चौड़े कर लेने से उसकी योनि का मुंह अच्छी प्रकार से बड़ा होकर फैल जाएगा तथा बिना किसी कष्ट के संभोग हो सकेगा। ऐसे संभोग को क्रमश: उच्चरत और उच्चतर रत कहा जाता है। 2. हस्तिनी का वृष या शश के साथ : हम पिछले ब्लॉग्स में जान चुके हैं कि हस्तिनी नायिका की योनि बड़ी और गहरी होती है। उसका समान नायक अश्व होता है, जिसका लिंग बहुत ही बड़ा होता है7 वृष  नायक का लिंग मध्यम आकार का तथा शश का छोटे आकार का होता है। जब हस्तिनी  नायिका

Top Secrets of Kamsutra-14 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-14 : अलग-अलग प्रदेशों में संभोग करने की प्रचलित विधियोंं का वर्णन

 अलग-अलग प्रदेशों में संभोग करने की प्रचलित विधियोंं का वर्णन      विभिन्न प्रदेशों में प्रचलित संभोग-क्रियाओं की विधियों का वर्णन इस ब्लॉग में किया जा  रहा है। आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि इन विशेष विधियों का प्रयोग करके संभोग का एक अनूठा आनंद लिया जा सकता है। अगर नायक यह चाहता है कि नायिका संभोग के समय उसे मनचाहा आनंद दे, तो उसे उन विधियों का प्रयोग करना चाहिए, जो नायिका के प्रदेश में प्रचलित हो और जिनके प्रयोग में वह नायिका पूरी तरह दक्ष हो। ठीक यही बात नायिका पर भी लागू होती है। अलग-अलग देशों में प्रचलित अलग-अलग संभोग विधियों का वर्णन आगे कर रहे हैं। जो बात देश के रहने वालों को अनुकूल बैठे, उसका पूरा ध्यान रखकर उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। यह अनुकूलता दो तरह से होती है। एक तो स्वभाव से तथा दूसरी स्थान से। चुंबन, आलिंगन,  नखों व दांतों का प्रयोग, जिस स्थान के लिए जो अनुकूल हो, वहां उसी का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही अपने प्रियतम या प्रियतमा के स्वभाव को भी अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। वात्स्यायन की बात का असली मतलब रति रहस्य में यूं बताया गया है : जब स्त्रियां संभ

Top Secrets of Kamsutra-13 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-13 : संभोग का आनंद बढ़ाने के लिए दांंतों का प्रयोग कब और कैसे?

संभोग का आनंद बढ़ाने के लिए  दांंतों  का प्रयोग कब और कैसे? नाखूनों से प्रहार करने के बाद स्त्री में कामवासना बढऩे लगती है। वह उत्तेजित होती चली जाती है। उस समय पुरुष को चाहिए कि वह दांंतों का प्रयोग शुरू कर दे। स्त्री के कोमल अंगों को दांतों द्वारा काटना ही दंत कर्म कहलाता है। इसे दंतक्षत, दशनच्छेद्य, दंतविलेखन या रदन-दशन भी कहा जाता है। इसमें जो सबसे अधिक ध्यान देने लायक बात है, वह यह है कि आलिंगन से लेकर दांतों के वार तक के सभी कार्य केवल तभी काम में लाने चाहिएं, जब साथ वाला उसे पसंद करे। यदि वह इन्हें पसंद  न करे, तो इनके प्रयोग का नाम भी नहीं लेना चाहिए। दांत लगाने के स्थान :  यह पिछले ब्लॉग में बताया जा चुका है कि कामवासना के भडक़ जाने के बाद ही स्त्री-पुुरुष नाखून चलाते हैं। अब दांत कहां चलाते हैं, उसके स्थान कौन-कौनसे हैं, यह इस प्रकार जानना चाहिए:- ऊपर के होंठ, जीभ और आंखों को छोडक़र, उन सभी अंगों पर दांत लगाया जा सकता है, जिन पर  चुंबन होता है। इन तीन स्थानों को छोड़ देने का विशेष कारण है। ऊपर के होंठ पर अगर दांत का निशान लगा दिया जाए तो वह कुरूप लगने लगता है। इसके अलाव

Top Secrets of Kamsutra-12 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-12 : संभोग के समय जोश में आकर नाखूनों का प्रयोग कब और कौनसे अंगों पर?

 संभोग के समय जोश में आकर नाखूनों का प्रयोग कब और कौनसे अंगों पर?           कामसूत्र में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि संभोग क्रिया में जब काम-वासना बहुत अधिक बढ़ जाती है, तब स्त्री-पुरुष जोश में आकर एक दूसरे को नाखून से मारते हैं। उनके लिए ठीक या गलत अंग का भेद नहीं रह जाता। वे जहां चाहते हैं, नाखून मार देते हैं। आचार्य का मत है कि कामवासना बढ़ जाने के बाद संघर्ष के रूप में नाखून चलाए जाते हैं। नाखून मारने का प्रयोग उन नायक-नायिकाओं में नहीं होता, जिनमें कामवासना कम या मध्यम रहती है। इनका प्रयोग अधिकतर तेज कामवासना वालों में ही होता है। इनका प्रयोग या तो पहले संभोग के समय होता है या फिर तब होता है, जब नायक या नायिका काफी समय के बाद दूसरे शहर से लौटते हैं। इसके अलावा जब नायक या नायिका को एक लंबे समय के लिए दूसरे स्थान पर जाना होता है, तब यादगारी के लिए इसका प्रयोग किया जाता है या फिर गुस्से के बाद, प्रसन्न होने पर या नायिका के नशे में धुत्त होने पर इसका प्रयोग किया जाता है। दंतप्रहार : जिस प्रकार नाखूनों का किया जाता है, उसी प्रकार से दांतों का भी किया जाता है, जिसके बारे में मैं

Top Secrets of Kamsutra-11 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-11 : चुंबन का प्रयोग कब, शरीर के कौनसे अंग पर, किस ढंग से करना चाहिए?

  चुंबन का प्रयोग कब, शरीर के कौनसे अंग पर,  किस ढंग से करना चाहिए?           कामसूत्र में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि माथा, पलकें, गाल, आंखें, वक्ष, स्तन, होंठ और मुंह के भीतर के तालू इत्यादि चुंबन लेने के सही स्थान हैं। लेकिन लाट देश(खम्बात, सूरत-दक्षिणी गुजरात) में रहने वाले पुरुशों में स्त्री की योनि के होंठ, उसे आसपास की जगहें, बगलों, जांघों तथा कूल्हों पर चुंबन करने का भी रिवाज है। हालांकि दूसरे सभ्य लोग इसे पशु चुंबन कहते हैं। आचार्य वात्स्यायन का मत है कि अलग-अलग प्रदेशों मं अलग-अलग स्वभाव के लोग रहते हैं। उनमें चूमने के स्थानों को लेकर भी अलग-अलग विचार हैं। संभोग के व्यवहार और प्रथा के कारण चुंबन स्त्री की कामवासना के सूचक बन गए हैं। इसलिए वातस्यायन कहते हैं कि जहां जिस प्रकार के चुंबन प्रचलित हैं, वहां उसी प्रकार से कर लेना चाहिए।  प्रत्येक स्त्री  पर विशेष प्रकार के चुंबनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नई नवेली तरुणी के चुंबन : निमित्तक, स्फुरित और घटितक - इन तीन प्रकार के चुंबनों का प्रयोग नई नवेली तरुणियों ही करती हैं। इनका पुरुशां के साथ संबंध नहीं है। ये तरुणियां इन च

Top Secrets of Kamsutra-10 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-10 : आलिंगन कब, कहां, कैसे? कुल कितने प्रकार के होते हैं आलिंगन?

 आलिंगन कब, कहां, कैसे? कुल कितने प्रकार के होते हैं आलिंगन? आचार्य वाभ्रव्य कहते हैं कि जो स्त्री-पुरुष पहले कभी नहीं मिले हैं, उनमें आपस के प्रेम को प्रकट करने के लिए चार प्रकार के आलिंगन बताए गए हैं इन आलिंगनों का प्रयोग वे एक दूसरे को अपने ओर आकर्षित करने के लिए करते हैं। ये  चार प्रकार के आलिंगन निम्रलिखित हैं : 1. स्पृष्टक  2. विद्धक  3. उद्घृष्टक  4.पीडि़तक इन आलिंगनों में जिसका जो नाम है, उसका वही काम है। जैसा नाम है, वैसा ही उसमें गुण है। इनका अलग-अलग विवरण आगे दिया जा रहा है। 1.  स्पृष्टक आलिंगन : पुरुष जिस स्त्री को चाहता हो तथा जिसे पाने के लिए वह प्रयत्न कर रहा हो, वह जब सामने से आ रही हो, तो किसी बहाने उसके शरीर से अपना शरीर छुआ दे, तो उसे स्पृष्टक  आलिंगन कहते हैं। 2. विद्धक आलिंगन : स्त्री जिस पुरुष को चाहती हो, वह जब एकांत में खड़ा या बैठा हो, तो किसी वस्तु को रखने या लेने के बहाने अपने वक्षों को उससे छुआ दे या उसे अपने वक्षों से धक्का देते हुए उसे पास से निकल जाए और पुरुष भी उसे तरीके से पकडक़र भींच दे, तो उसे विद्धक आलिंगन कहते हैं। 3. उद्घृष्टक आलिंगन : जहां मनुष्य

Top Secrets of Kamsutra-9 : कामसूत्र के टॉप सीक्रेट्स-9 : खुद से पहले स्त्री को स्खलित करने के तरीके

खुद से पहले स्त्री को स्खलित करने के तरीके       कामसूत्र में आचार्र्य वात्स्यायन कहते हैं कि स्त्री-पुरुष की  रचना ही कुछ इस प्रकार से की गई है कि इनमें एक कर्ता है और दूसरा कर्म। एक का गुप्तांग लंबा है तो दूसरे का गहरा। एक प्रवेश करने वाला है और दूसरा करवाने वाला। इस कारण पुरुष के गुप्तांग का काम अलग है और स्त्री के गुप्तांग का अलग। इसमें मान्यता का भेद हो सकता है। पुरुष सह मान सकता है कि मैं संभोग कर रहा हूं तथा स्त्री यह मान सकती है कि मैं संभोग करवा रही हूं। इस प्रकार मान लेने से उनके आनंद में कोई अंतर नहीं पउ़ता। वे दोनों ही स्खलित होते हैं तथा समान रूप से संभोग का आनंद लेते हैं।  कुछ आचार्यों यह सवाल करते हैं कि जैसे स्त्री और पुरुष का संभोग करने का तरीका अलग-अलग है, उसी प्रकार उनके संभोग से होने वाले आनंद को भी अलग-अलग क्यों नहीं मान लेते? इसके उत्तर में आचार्य वात्स्यायन कहते हैं कि हालांकि सुख उनके तरीकों से ही पैदा होता है, फिर भी वे अलग-अलग नहीं हैं। यह ठीक है कि काम को करने वाला अलग है और काम को करवाने वाली अलग है, तो भी ये एक ही माने जाएंगे। स्त्री और पुरुष एक ही जाति